जांबाज़ कैप्टन सुमित रॉय, वीर चक्र

जांबाज़ कैप्टन सुमित रॉय, वीर चक्र

Capt Sumit Roy

हर वक्त मेरी आंखों में देशप्रेम का स्वप्न हो,
जब कभी भी मृत्यु आए तो तिरंगा मेरा कफन हो।
और कोई ख्वाहिश बाकी नहीं जिंदगी में,
जब कभी जन्म लूं तो भारत मेरा वतन हो।

कारगिल विजय के इतने साल बाद भी भी देश के वीर जवानों की शहादत की कहानियां पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात हो रगों का खून गर्म हो जाता है हर भारतीय का सीना फख्र से चौड़ा हो जाता है..
इन जवानों ने अपने सीने पर गोलियां खाकर देश की रक्षा की। शहादत के बाद वो जवान अपने पीछे छोड़ गए बहादुरी की शौर्य गाथाएं। कारगिल सप्ताह में हम आपको बता रहे हैं उन वीरों की कहानियां, जो हमारे देश के इतिहास में दर्ज हो गईं…

कारगिल युद्ध में हमारे शूरवीरों ने पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे कर दिए थे। शहादत देकर इन अमर वीरों ने दुश्मनों के नापाक मंसूबों को नाकाम किया और देश का मान बढ़ाया। सीने पर गोलियां खाईं। दुश्मनों को ढेर करने के बाद ही अंतिम सांस ली। ऐसे ही जांबाज थे कैप्टन सुमित रॉय। ऑपरेशन विजय के दौरान वह बिना बंदूक के ही दुश्मनों पर टूट पड़े।

साल 1999…
स्थान: कारगिल #OperationVijay
जब 18th गढ़वाल राइफल्स के शेरों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को सिखाया था सबक I

मई 1999 को भारतीय सेना को #Kargil क्षेत्र में घुसपैठियों के छुपे होने कि खबर मिली I जून में भारतीय सेना ने 18 गढ़वाल राइफल्स पर द्रास सेक्टर में मोर्चा सँभालने कि एहम ज़मीदारी सौपीं | द्रास कि दुर्गम चोटियों पर पहुंचना ही बहुत जोखिम भरा था और ऊपर से घुसपैठिए लगातार हमला कर रहे थे I लेकिन गढ़वाल के यह शेर कहाँ मानने वाले थे I #CaptSumitRoy जो कि महज २१ वर्ष के थे, उनकी अगुवाई में 18 गढ़वाल राइफल्स के वीर दुश्मनों को एक के बाद एक ख़त्म करते हुए लगातार आगे बढ़ते रहे। कारगिल में प्वाइंट पर दुश्मन मौजूद थे बहुत करीब पहुंच चुके थे पल भर का भी समय नहीं था जैसे ही यह बात कैप्टन सुमित को पता चली वे बिना हथियार लिए ही साथियों के साथ पहाड़ी पर पहुंच गए। जब चोटी के काफी नजदीक पहुंचे तो उन्हें दो पाकिस्तानी सैनिक दिखे। वहां साथियों की रक्षा के साथ एक चुनौती यह भी थी कि एक गलत कदम नीचे पहुंचा देता ।सुमित ने अचानक दुश्मनों पर हमला किया। उन्हें इतना मौका भी नहीं दिया कि वे अपनी बंदूक तक उठा सकें। कैप्टन सुमित के हाथों का प्रहार पाक सैनिक नहीं सह सके और वहीं ढेर हो गए.. इस जांबाज ने बिना किसी हथियार के ही उन पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतार दिया और पॉइंट 5140 और फिर 3 दिन बाद पॉइंट 4700 को फ़तेह कर तिरंगा प्वाइंट पर तिरंगा फहराया। द्रास सेक्टर में 4 जुलाई को पाकिस्तानी सेना ने बम विस्फोट कर दिया, जिसकी चपेट में आने से कैप्टन सुमित शहीद हो गए। युद्ध में अदम्य साहस के लिए उन्हें वीर चक्र से अलंकृत किया गया। युद्ध के दौरान 18 अन्य वीर सैनिक भी शहीद हो गए I बहादुरी से देश कि रक्षा करते हुए इस बलिदान के लिए कॅप्टन सुमित रॉय को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया I

कैप्टन सुमित की मां सपना रॉय के लिए 4 जुलाई की वह सुबह जिंदगी की सबसे अनहोनी खबर की सूचना लेकर आई । आठ बजे फोन की घंटी बजी और सूचना मिली कि सुमित अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। वह काफी छोटा था। एक दिन पहले ही शाम को उससे बात हुई थी। दो दिन बाद उसका शव घर आया। हिमाचल प्रदेश स्थित कसौली छावनी क्षेत्र में जन्मे सुमित अपने आसपास रहने वाले सैन्यकर्मियों से काफी प्रभावित थे। बचपन से ही वे सेना में जाना चाहते थे ताकि देश के लिए कुछ कर सकें। हर भारतवासी को उनके इस अमर बलिदान पर गर्व है।

Thank u Warrior for your duty!
We all are indebted to your Supreme Sacrifice
RESPECT AND SALUTE!

Remembrance

जय हिंद।
जय हिंद की सेना!
जय भारत!

Sqn Ldr Rakhi Agarwal

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