शौर्यगाथा – कैप्टन विक्रम बत्रा

शौर्यगाथा – कैप्टन विक्रम बत्रा

Capt Vikram Batra
…परम वीर चक्र…

भारतीय सैनिकों ने वैसे तो कई बार जंग के मैदान में अपनी शौर्यगाथा लिखी है। लेकिन पाकिस्‍तान से लड़ा गया भारत का कारगि‍ल युद्ध एक ऐसा वॉर था जिसमें इंडि‍यन आर्मी ने चारों तरफ से पाकिस्‍तान को घेरकर मारा था। यहां तक कि पाकिस्‍तानी आर्मी के सैनि‍क वापस भागने लगे थे और उसका एक मुख्य कारण था हमारे वीर सैनिकों का अदम्य साहस एवं शौर्य ऐसे ही एक सैनिक की गाथा आज आपके समक्ष

कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर, 1974, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में हुआ था और 07 जुलाई, 1999 को 24 वर्ष की उम्र में देश पर न्यौछावर हो गए।

इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पासआउट होने के बाद 6 दिसंबर, 1997 को लेफ्टिनेंट के तौर पर सेना में भर्ती हुए। कारगिल युद्ध के दौरान उनकी बटालियन 13 जम्मू एंड कश्मीर रायफल 6 जून को द्रास पहुंची। 19 जून को कैप्टन बत्रा को प्वाइंट 5140 को फिर से अपने कब्जे में लेने का निदेश मिला। ऊंचाई पर बैठे दुश्मन के लगातार हमलों के बावजूद उन्होंने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए और पोजीशन पर कब्जा किया। उनका अगला अभियान था 17,000 फीट की ऊंचाई पर प्वाइंट 4875 पर कब्जा करना। पाकिस्तानी फौज 16,000 फीट की ऊंचाई पर थीं और बर्फ से ढ़कीं चट्टानें 80 डिग्री के कोण पर तिरछी थीं।

7 जुलाई की रात वे और उनके सिपाहियों ने चढ़ाई शुरू की। अब तक वे दुश्मन खेमे में भी शेरशाह के नाम से मशहूर हो गए थे। साथी अफसर अनुज नायर के साथ हमला किया। एक जूनियर की मदद को आगे आने पर दुश्मनों ने उनपर गोलियां चलाईं, उन्होंने ग्रेनेड फेंककर पांच को मार गिराया लेकिन॰॰॰॰॰

एक गोली आकर सीधा उनके सीने में लगी। अगली सुबह तक 4875 चोटी पर भारत का झंडा फहरा रहा था। इसे विक्रम बत्रा टॉप नाम दिया गया। उन्हें परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

‘ये दिल माँगे more’

Thank u Incredible Warrior for your duty!
We all are indebted to you.

RESPECT AND SALUTE!

Remembrance

जय हिंद।
जय हिंद की सेना!
जय भारत!

Sqn Ldr Rakhi Agarwal

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