क्या आप विश्वास करेंगे कि भारतीयों को ध्रुवों का ज्ञान आज से हजारों साल पहले हो चुका था ?यह सोमनाथ मंदिर में स्थित बाण स्तंभ है, जिसका उल्लेख छठवीं शताब्दी में भी मिलता है। यानी कि यह और भी प्राचीन है, सोमनाथ मंदिर, गुजरात के साथ इसका भी जीर्णोद्धार करवाया गया । इस पर रास्ते को इंगित करते हुए एक बाण दर्शाया गया है ।बाणस्तम्भ पर संस्कृत में श्लोक लिखा है।
“आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव पर्यंतअबाधित ज्योतिरमार्ग “
इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि
“समुद्र में यहाँ से दक्षिण ध्रुव तक बिना किसी बाधा वाला ज्योतिरमार्ग है।”
इसका सरल अर्थ यह है कि बाणस्तम्भ से लेकर दक्षिण ध्रुव के बीच सीधी रेखा में कोई भी जमीन का टुकड़ा या अवरोध नहीं है..आज गूगल मैप से आप भी घर बैठे देख सकते हैं कि बाण स्तम्भ और दक्षिणी ध्रुव के बीच कोई भूखंड नहीं है।कल्पना कीजिये कितने विद्वान और बुद्धिमान लोग थे हमारे पूर्वज….