जीवन का प्रबंधन

जीवन का प्रबंधन

विचारणीय!!

मैं अभी हाल ही में एक गृह प्रवेश की पूजा में गयी थी, वहां गायत्री परिवार के पंडितजी पूजा करवा रहे थे।
पंडितजी ने सबको हवन में शामिल होने के लिए बुलाया और सामग्री को थोड़ा थोड़ा हवन कुंड में डालने के लिए निर्देश दिया। सबके सामने हवन सामग्री रख दी गई। पंडितजी मंत्र पढ़ते और कहते–“स्वाहा।”
लोग चुटकियों से हवन सामग्री लेकर अग्नि में डाल देते। गृहस्वामी को “स्वाहा” उच्चारण के साथ ही अग्नि में घी डालने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई।

हर व्यक्ति थोड़ा हवन सामग्री अग्निकुण्ड में डाल रहा था। इस आशंका में कि कहीं हवन खत्म होने से पहले ही सामग्री खत्म न हो जाए, गृहस्वामी भी बूंद-बूंद घी डाल रहे थे। उनके मन में भी डर था कि कहीं घी खत्म न हो जाए।

मंत्रोच्चार चलता रहा, “स्वाहा” होता रहा और पूजा पूरी हो गई। सबके पास बहुत-सी हवन सामग्री बची रह गई।
“घी” तो आधे से भी कम इस्तेमाल हुआ था।
हवन पूरा होने के बाद पंडितजी ने कहा कि आप लोगों के पास जितनी सामग्री बची है, उसे अग्नि में डाल दें। गृहस्वामी से भी उन्होंने कहा कि आप इस घी को भी कुंड में डाल दें।
एक साथ बहुत सी हवन सामग्री अग्नि में डाल दी गई। सारा घी भी अग्नि के हवाले कर दिया गया। पूरा घर धुंए से भर गया। वहां बैठना भी मुश्किल हो गया। एक-एक कर सभी कमरे से बाहर निकल गए। अब जब तक सब कुछ जल नहीं जाता, कमरे में जाना संभव नहीं था। काफी देर तक इंतज़ार करना पड़ा, सब कुछ “स्वाहा” होने के इंतज़ार में..।

मेरी कहानी यहीं समाप्त हो जाती है। परंतु इसे लिखने का मेरा प्रयोजन मात्र यही था कि उस पूजा में मौजूद हर व्यक्ति यह जानता था कि जितनी हवन सामग्री उसके पास है, उसे हवन कुंड में ही डालना है। पर सभी ने उसे बचाए रखा कि आख़िर में सामग्री काम आएगी या बीच में ही कहीं खत्म न हो जाए!

सत्य तो यह है कि हम सदैव ऐसा ही करते हैं। यही हमारी फितरत है। हम अंत के लिए बहुत कुछ बचाए रखते हैं जोकि अंत में जमीन-जायदाद और बैंक-बैलेंस के रूप में यहीं पड़ा रह जाता है और आप उसके उपभोग से वंचित रह जाते हैं।


ज़िंदगी की पूजा खत्म हो जाती है और हवन सामग्री बची रह जाती है। हम बचाने में इतने खो जाते हैं कि यह भी भूल जाते है कि सब कुछ होना हवन कुंड के हवाले ही है तो उसे बचा कर क्या करना..? बाद में तो उसे सिर्फ धुंआ ही होना है !! यह संसार” एक हवन कुंड है और यह “जीवन” एक पूजा।
एक दिन सब कुछ इस हवनकुंड में समाहित होना है। और कुछ ऐसी चीजों को बचाने के लिए हम कुछ अनमोल चीजों को हमेशा के लिए खो देते हैं।

अच्छी पूजा वही है जिसमें
"हवन सामग्री का सही अनुपात में इस्तेमाल हो।"
न सामग्री खत्म हो और न ही बची रह जाए.. !! यही जीवन का प्रबंधन है !!!

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