Theme Based Content – “चरित्र एवं व्यक्तित्व के निर्माण में नीति-नियम अनुशासन और संस्कारों का महत्व” – मानवीय एवं राष्ट्रीय मूल्यों से प्रेरित सदाचरण एवं सदविचार
अत:उस शिक्षा में किसी को न संदेह की आवश्यकता होती है और न ही किसी भ्रम की।
आचरण की शिक्षा की यह पाठशाला कभी बंद नहीं होती और न इसका पाठ कभी समाप्त होता है।
रात्रि नैराश्य और प्रतिकूलता की प्रतीक है, सघन अंधकार को देखकर भय की अनुभूति होती है, रात्रि में रोग और दुख की वृद्धि देखी जाती है…..
इसका मनोवैज्ञानिक कारण यह है कि दिन में व्यक्ति प्रिय परिजनों से घिरा होता है जिसकी संवेदना के कारण व्यक्ति अपने को हल्का महसूस करता है…..
सूर्य के प्रकाश से भी उसमें आशा का संचार होता है, रात्रि में व्यक्ति अपने को अकेला पाता है उसकी निराशा बढ़ जाती है, धैर्य छूटने लगता है…..
किंतु रात्रि शाश्वत नहीं है…..
अपने स्वयं के विचारो एवं दृढ़ता पर विश्वास करें कोई भी कार्य असंभव नहीं।
विश्वास कीजिये कि आपमे स्थितियों को बदल देने की सामर्थ्य पूर्ण रूप से विद्यमान है। आप जो विचार करते हैं, जिन विषयों को प्राप्त करने की योजनाएँ बनाते हैं, वह आन्तरिक शक्तियों के विकास से अवश्य प्राप्त कर सकते हैं। अपने पर विश्वास कीजिए कि जो कुछ महत्ता, सफलता, उत्तमता, प्रसिद्ध, समृद्धि अन्य व्यक्तियों ने प्राप्त की है, वह आप भी अपनी आन्तरिक शक्तियों द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।
आपमें वे सभी उत्तमोत्तम तत्व विद्यमान है मनुष्य को जिनसे उन्नति प्राप्त होती है।
अपने पर विश्वास कीजिये कि आपमें अद्भुत आन्तरिक शक्तियाँ निवास करती हैं। आप जिस मनोबल आत्मबल या निश्चयबल का करिश्मा देखते हैं, वह कोई जादू नहीं, वरन् आपके द्वारा सम्पन्न होने वाला एक दैवीय नियम है। सब में यह असाधारण एवं चमत्कारिक शक्तियाँ समान रूप से व्याप्त हैं।