पलाश

आया था हरे भरे वन में पतझर, पर वह भी बीत चला। कोंपलें लगीं, जो लगीं नित्य बढ़नें, बढ़ती ज्यों चन्द्रकला॥ चम्पई चाँदनी भी बीती, अनुराग-भरी ऊषा आई। जब हरित-पीत…

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बौद्धिक अहंकार

एक भगौने में पानी डालिये और उसमे एक मेढक छोड़ दीजिये। फिर उस भगौने को आग में गर्म कीजिये। जैसे जैसे पानी गर्म होने लगेगा, मेढक पानी की गर्मी के…

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