इंदौर की हमारी माया दीदी क्या क्या नही करतीं? वह हर बार कुछ अलग सोच कर लाती हैं और बच्चों से बेहतरीन काम करवाती है आनंद आ जाता है , उन्होंने जितना खूबसूरत फैंसी ड्रेस का कंपटीशन करवाया वह भी हमारे वंचित वर्ग के बच्चों के बीच में उतना ही ख़ूब गुड़िया बनाने का कम्पटीशन भी और यह सारा कार्य भी वो उसी वर्ग विशेष के बच्चों के द्वारा करवा रही हैं । उनकी कार्य करने की शैली एकदम अनोखी है , प्रेरणा है वह हमारे संस्कार यज्ञ की ...बेंगलोर, होशंगाबाद, भोपाल, इंदौर मुम्बई से सब गुड़िया दादी नानी की कारीगरी को जीवित करती ... आज उन्हें देखकर अपना भी बचपन याद आ गया हमने भी बचपन में गुड़िया बनाना सीखा था और अलग अलग प्रांत जैसे कश्मीर हरियाणा, राजस्थानी, अरुणाचली आदि बहुत सारी गुड़ियां बनाई थीं जो आज भी यादों में बिल्कुल ताजा है... अपने बच्चों को ऐसी चीजें ज़रूर करवाइए इससे वो अन्जाने में बहुत कुछ सीख लेते हैं...