Theme Based Content – “चरित्र एवं व्यक्तित्व के निर्माण में नीति-नियम अनुशासन और संस्कारों का महत्व” – मानवीय एवं राष्ट्रीय मूल्यों से प्रेरित सदाचरण एवं सदविचार

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सदाचरण की शिक्षा के सबंध में कहा गया है कि इस जगत में श्रेष्ठ जन जैसा आचरण करते हैं वही आचरण अन्य लोग भी करते हैं,क्योकिं विद्वजनों का आचरण प्रमाण होता है।

अत:उस शिक्षा में किसी को न संदेह की आवश्यकता होती है और न ही किसी भ्रम की।

आचरण की शिक्षा की यह पाठशाला कभी बंद नहीं होती और न इसका पाठ कभी समाप्त होता है।

शिक्षण की यह विधि लोक को अपने अंदर सत्य,अहिंसा,त्याग,ममता,दया,करुणा,परोपकार,देश भक्ति आदि मानवीय एवं राष्ट्रीय मूल्य धारण करने के लिये अभिप्रेरित करती है,क्योकिं यही इसकी विषयवस्तु है,जो जन-जन के आचरण के विषय बनने चाहिए और इसी से चरित्र एवं व्यक्तित्व का निर्माण होता है।

संस्कार यज्ञ का एक यही उद्देश्य है आपके अंदर अच्छे विचारों की अच्छी सोच की प्रवृत्ति को विकसित करना ,आपको उत्साहित करना, विश्वास पैदा करना क्योंकि अच्छी सोच अच्छे विचार वाले कर्म ही हमें सही दिशा में आगे बढ़ कर अपने गंतव्य तक पहुंचा सकते हैं।

रात्रि नैराश्य और प्रतिकूलता की प्रतीक है, सघन अंधकार को देखकर भय की अनुभूति होती है, रात्रि में रोग और दुख की वृद्धि देखी जाती है…..

इसका मनोवैज्ञानिक कारण यह है कि दिन में व्यक्ति प्रिय परिजनों से घिरा होता है जिसकी संवेदना के कारण व्यक्ति अपने को हल्का महसूस करता है…..

सूर्य के प्रकाश से भी उसमें आशा का संचार होता है, रात्रि में व्यक्ति अपने को अकेला पाता है उसकी निराशा बढ़ जाती है, धैर्य छूटने लगता है…..

किंतु रात्रि शाश्वत नहीं है…..

अंधकार कितना भी घना क्यों न हो अंत में प्रातः काल प्रकाश की किरणें टूटती है और अंधकार का कहीं पता भी नहीं चलता…..

अगर आप असंभव को भी संभव मानकर चलते हैं, तो करने की सामर्थ्य, शक्ति बढ़ती है और कुछ आश्चर्य नहीं कि असंभव भी संभव हो जाए, क्योंकि बहुत असंभव संभव होते देखे गए हैं, असल में हम असंभव उसे कहते हैं, जिसे हम नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन जिसे हम नहीं कर पा रहे हैं, उसे नहीं ही कर पाएंगे, ऐसा निष्कर्ष लेने की तो कोई भी जरूरत नहीं है, लेकिन सभी तर्कयुक्त बातें सत्य नहीं होतीं, सच तो यह है कि सभी असत्य तर्कयुक्त रूप लेते हैं, सभी असत्य अपने आस-पास तर्क का जाल बुन लेते हैं….. सबसे बड़ी शक्ति विचार की शक्ति है जो ठान लिया वो कर लिया।

अपने स्वयं के विचारो एवं दृढ़ता पर विश्वास करें कोई भी कार्य असंभव नहीं।


विश्वास कीजिये कि आपमे स्थितियों को बदल देने की सामर्थ्य पूर्ण रूप से विद्यमान है। आप जो विचार करते हैं, जिन विषयों को प्राप्त करने की योजनाएँ बनाते हैं, वह आन्तरिक शक्तियों के विकास से अवश्य प्राप्त कर सकते हैं। अपने पर विश्वास कीजिए कि जो कुछ महत्ता, सफलता, उत्तमता, प्रसिद्ध, समृद्धि अन्य व्यक्तियों ने प्राप्त की है, वह आप भी अपनी आन्तरिक शक्तियों द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।

आपमें वे सभी उत्तमोत्तम तत्व विद्यमान है मनुष्य को जिनसे उन्नति प्राप्त होती है।

न जाने कब, किस समय, किस अवसर एवं किस परिस्थिति में आपके जीवन का आन्तरिक द्वार खुल जाय और आप सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुँच जायं।

अपने पर विश्वास कीजिये कि आपमें अद्भुत आन्तरिक शक्तियाँ निवास करती हैं। आप जिस मनोबल आत्मबल या निश्चयबल का करिश्मा देखते हैं, वह कोई जादू नहीं, वरन् आपके द्वारा सम्पन्न होने वाला एक दैवीय नियम है। सब में यह असाधारण एवं चमत्कारिक शक्तियाँ समान रूप से व्याप्त हैं।

संसार के अगणित व्यक्तियों ने जो महान् कार्य किये हैं, वह आप भी कर सकते हैं। आपको अपने कार्यो एवं विषयों पर दृढ़ता के साथ विश्वास रखना पड़ेगा। इस धरा पर समस्त कार्य संभव है।आपकी अपनी दृढ़ता एवं विचारों पर समस्त विषय निर्भर है। उठिए चलिए और उस समय तक प्रयासरत रहिए जब तक आप का संकल्प पूर्ण ना हो।

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